तुम्हें समझने में और तुम्हें समझाने में पूरी उम्र निकलने को है ना जाने तुम्हारे दिमाग का स्वभाव कैसा है बस अपनी वाली किए जा रही हो आजकल लाचार हूं ना दवा काम आई ना दुआ काम आई
जो कहती थी पहले तुम्हें हद से ज्यादा प्यार करती हूं वह आजकल सताने लगी है दिल पर दर्द सहकर मुस्कुराने की कोशिश करता हूं